संवाददाता: अनिल वर्मा
∆- कुछ सेकेंड से पिछड़ने के कारण नहीं पहुंच सके थे ओलंपिक में
∆- अमेरिका के कैनसास सिटी में हुए कम्पटीशन में हुआ सेलेक्शन
चौरीचौरा (गोरखपुर) गांव की पगडंडियों पर दौड़ते दौड़ते एथलीट हरिकेश आज अमेरिका के कोलोराडो की पहाड़ियों में 11 हजार फिट की ऊंचाई पर ट्रेनिंग लेकर एथलीट की दुनियां में इतिहास रचने की तैयारी कर रहे हैं। आर्थिक तंगी से जूझते हुए इस मुकाम पर पहुंचकर बेहतर ट्रेनिंग ले रहे हरिकेश को अमेरिकन कम्पनी अंडर आम स्पोर्ट सहयोग कर रही है। विश्व एथलेटिक्स गेम्स में इतिहास रचने का जज्बा लिए कोलोराडो में 11 हजार फिट की ऊंचाई पर ट्रेनिंग ले रहे हरिकेश अब पूरे जोश में हैं।
चौरीचौरा की क्रांतिकारी धरती की पगडंडियों पर दौड़ने वाले हरिकेश मौर्य ने ऐसे तो देश और विदेश में होने वाले मैराथन में भाग लेकर कई मेडल अपने नाम किया है। लेकिन हरिकेश की निगाह ओलंपिक के पदक पर है। लगातार आर्थिक तंगी से जूझने वाले इस धावक को देश से कोई सपोर्ट न मिलने के कारण आर्थिक तंगी उनके बेहतर ट्रेनिंग में बाधक बनी। फिर भी पिता ने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा कर ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेजा। जहां कोरोना काल में हरिकेश ने टेक्सास शहर में काफी दिक्कतों का सामना किया। कभी भी हिम्मत और हौसला न खोने वाले हरिकेश ने अपना अभियान जारी रखा और बीते ओलंपिक के लिए क्वालिफाइंग रेस भी किया। लेकिन कुछ सेकेंड्स से पिछड़ने के कारण वह ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके। इसके लिए वह बेहतर ट्रेनिंग न मिलने को जिम्मेदार मानते हैं। अमेरिका में हुए एक रेस में अमेरिकन कम्पनी अंडर आम स्पोर्ट ने उनकी प्रतिभा को देखा और हरिकेश को सपोर्ट किया है। कम्पनी ने हरिकेश के बेहतर टर्निंग का खर्च उठाने की जिम्मेदारी लिया है। हरिकेश ने ट्रेनिंग कैम्प के लिए अमेरिका के कैनसास शहर में हुए क्वालिफाइंग रेस को क्वालीफाइ किया और उनका सेलेक्शन ट्रेंनिग कैम्प के लिए हुआ है। इंटरनेशनल एथलीट हरिकेश मौर्य इस समय अमेरिका के कोलोराडो की पहाड़ियों में 11 हजार फिट की ऊंचाई पर ट्रेनिंग ले रहे हैं। हरिकेश ने बातचीत के दौरान बताया कि अब उनकी तैयारी बेहतर चल रही है और वह भारत के 28 साल पुराने रिकार्ड को तोड़ने के लिए मेहनत कर रहे हैं। 16 साल की उम्र में नंगे पैर जब वह मैराथन में भाग लिए थे तभी देश विदेश के धावकों ने उनकी प्रतिभा का लोहा मान लिया था। अब 2022 में अमेरिका में होने वाले वर्ल्ड एथलेटिक्स गेम्स में भाग लेकर इतिहास रचने की तैयारी में जुटे हैं। हरिकेश कहते हैं कि वर्ल्ड एथलेटिक्स गेम्स को वह गवाना नहीं चाहते। क्योंकि यह उनके जीवन की सबसे बड़ी रेस होगी और इस रेस में एक इतिहास रचने का सपना है। उस सपने को पूरा करने के लिए वह लगातार मेहनत कर रहे हैं। ट्रेनिंग कैम्प में हरिकेश के साथ केन्या, इथोपिया, मैक्सिको सिटी, ब्राजील सहित कई अन्य देशों के बेहतरीन धावक ट्रेनिंग ले रहे हैं। जहां उनके कोच रॉब उनको बेहतरीन टिप्स देकर प्रशिक्षित कर रहे हैं। हरिकेश बताते हैं कि पहले की अपेक्षा इस समय उनकी टाइमिंग काफी बेहतर हो गयी है और आगे और बेहतर होगी। अपनी मेहनत और जज्बे पर विश्वास रखने वाले हरिकेश की प्रतिभा को देखकर पूर्व में केन्या, इथोपिया और अमेरिका जैसे देशों ने अपने देश से खेलने का ऑफर दिया। लेकिन भारत की माटी से जुड़े हरिकेश ने सभी ऑफर को दरकिनार कर दिया और आज भी अपने सीने पर तिरंगा सजाने का लक्ष्य रख ट्रेनिंग ले रहे हैं।