पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के बाद से इस पर लगातार राज्‍यों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं। राज्‍य इसको अपने अधिकार क्षेत्र में दखल के तौर पर देखते हुए केंद्र पर आरोप भी लगा रहे हैं। पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से इस फैसले के खिलाफ बयान दिया गया है। इन दोनों राज्‍यों का कहना है कि केंद्र का ये फैसला तर्कहीन है और संघवाद पर सीधा हमला है।

गौरतलब है कि सीमावर्ती राज्‍यों बीएसएफ लगातार नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्‍करी के अलावा अवैध घुसपैठ को भी रोकने का काम करती है। इसको फर्स्‍ट लाइन आफ डिफेंस भी कहा जाता है। मौजूदा फैसले से पहले अधिकार क्षेत्र से बाहर तलाशी अभियान के लिए बीएसएफ को राज्‍य पुलिस को सूचित करना होता था। ऐसे में कई बार तस्‍कर या घुसपैठिए उनकी पहुंच से दूर चले जाते थे। लेकिन केंद्र के ताजा फैसले के बाद बीएसएफ को राज्‍य पुलिस को बिना सूचित किए या उनका इंतजार किए बिना कार्रवाई करने का अधिकार होगा। इससे इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इन तीनों राज्‍यों में बीएसएफ का क्षेत्र अब अंतरराष्‍ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर अंदर तक होगा। पहले ये क्षेत्र केवल 15 किलोमीटर था। इस दायरे का अर्थ है कि बीएसएफ के अधिकारी नए फैसले के मुताबिक अब राज्‍य की अंतरराष्‍ट्रीय सीमा से करीब 50 किमी अंदर आकर तलाशी ले सकेंगे और आरोपी को गिरफ्तार भी कर सकेंगे। पहले 15 किमी के क्षेत्र के बाहर ये अधिकार राज्‍य की पुलिस के पास था।

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