अफगानिस्तान में अब भी दर्जनों अमेरिकी नागरिकों समेत करीब एक हजार ऐसे अफगान लोग फंसे हैं, जिनके पास अमेरिका या दूसरे देशों का वीजा है। इन लोगों को देश से निकलने के लिए तालिबान से मंजूरी मिलने का इंतजार है। बता दें कि तालिबान ने गत 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अमेरिकी सेना की अगुआई में काबुल एयरपोर्ट से विदेशियों और अफगान सहयोगियों की निकासी के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया था। गत 30 अगस्त को अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद हैं।

एक हजार अमेरिकी और अफगान सहयोगियों को मंजूरी का इंतजार

अफगानिस्तान में फंसे लोगों की निकासी के प्रयास में जुटे संगठनों के प्रतिनिधियों के अनुसार, उड़ानों को अनुमति देने को लेकर अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत चल रही है। ऐसे लोगों को लेकर रवाना होने के लिए कई विमान इजाजत मिलने का इंतजार कर रहे हैं। देश छोड़ने की उम्मीद में मजार-ए-शरीफ में बड़ी संख्या में लोग जमा हैं, लेकिन उन्हें शहर के एयरपोर्ट में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।

तालिबान अमेरिका के साथ काम करने की सजा देना चाहता है इन्हें

अमेरिकी रक्षा विभाग के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी माइक मूलराय ने कहा, ‘तालिबान इन लोगों की निकासी में रोड़ा अटकाना चाहता है, क्योंकि इन्होंने अमेरिका के साथ काम किया था। वह इन्हें सजा देना चाहता है।’ जबकि अमेरिकी सांसद और विदेश मामलों की संसदीय समिति के सदस्य माइकल मैककाल ने रविवार को कहा, ‘तालिबान छह विमानों को अफगानिस्तान से निकलने नहीं दे रहा है। अमेरिकियों को बंधक बनाया गया है। तालिबान इन विमानों को अनुमति देने के बदले में कुछ चाह रहा है।’ अफगानिस्तान में अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को छोड़ देने को लेकर बाइडन प्रशासन को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

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